इस जुदाई को ही प्यार मान लेता हूँ
चलो फिर ठीक है मैं हार मान लेता हूँ
खुश अगर ख़्वाब में ही होना है मुझको
तेरे इनकार को इकरार मान लेता हूँ
मैं अपनी छत के तले ही लुटा जाता हूँ
मैं अपने घर को ही बाज़ार मान लेता हूँ
तेरी तस्वीर से दुनिया का पता चलता है
तेरी तस्वीर को अख़बार मान लेता हूँ
देख लेता हूँ हर रात चाँद का चेहरा
उसी को अब तेरा दीदार मान लेता हूँ
जुदाई पर मेरा दिल तैयार नहीं हो सकता
मैं अपने दिल को अब तैयार मान लेता हूँ
सारांश....⚘⚘
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